Tuesday, October 5, 2021

मुंबई भाजपा अध्यक्ष व विधायक श्री मंगलप्रभात लोढ़ा ने अयोध्या राम मंदिर की प्रतिकृति के लिए 51 लाख की बोली लगाई



माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को प्रदान किए गए प्रतिष्ठित और यादगार उपहारों की ई-नीलामी का तिसरा संस्करण १७ सप्टेंबर से ७ ऑक्टोबर २०२१ तक वेब पोर्टल https://pmmementos.gov.in. के माध्यम से आयोजित किया जा रहा है। स्मृति चिन्ह में टोक्यो ऑलिम्पिक २०२० और टोक्यो पॅरालिंपिक २०२० खेलों के विजेताओं द्वारा प्रधानमंत्री को उपहार में दिए गए स्पोर्ट्स गियर और उपकरण शामिल हैं। अन्य दिलचस्प कलाकृतियों में अयोध्या राम मंदिर की प्रतिकृति, चारधाम, रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर, मॉडल, मूर्तियां, पेंटिंग और अंगवस्त्र शामिल हैं। ई-नीलामी के इस चरण में, लगभग १३३० स्मृति चिन्हों की ई-नीलामी की जा रही है।

इस नेक अभियान में अपनी सहभागिता निभाते हुए मुंबई भाजपा अध्यक्ष व विधायक श्री मंगलप्रभात लोढ़ा ने अयोध्या राम मंदिर की प्रतिकृति के लिए ५१ लाख रूपये की बोली लगाई है, जो अभी तक इस प्रतिकृति के लिए सर्वाधिक बोली है। अयोध्या राम मंदिर की यह प्रतिकृति लकड़ी की बनी है जिसकी लंबाई - ६८ (सेमी), चौड़ाई - ५२ (सेमी), ऊंचाई - ५३ (सेमी), वजन - २३ (किलो) है। मुंबई भाजपा अध्यक्ष व विधायक श्री मंगलप्रभात लोढ़ा ने बताया की माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने ई-नीलामी के माध्यम से हम सभी को देश की सेवा में अपना योगदान करने का एक और अवसर प्रदान किया है, इसके लिए हम उन्हें धन्यवाद करते है। विश्वगुरू की ओर बढ़ते भारत के युगपुरूष माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को मिला यह भेंट हमारे घर में आना यह एक ऐतिहासिक धरोहर बन जाएगी। साथ ही भारत की आर्थिक राजधानी उनके पीछे खड़ी है, यह संदेश विश्व भर में जाएगा।

ई-नीलामी से प्राप्त सारी राशि गंगा नदी के संरक्षण और कायाकल्प के उद्देश्य से नमामि गंगे अभियान को प्रदान की जाएगी। श्री नरेन्द्र मोदी भारत के पहले प्रधान मंत्री हैं, जिन्होंने “नमामि गंगे” के माध्यम से देश की जीवन रेखा - गंगा नदी के संरक्षण के नेक काम के लिए मिलने वाले सभी उपहारों को नीलाम करने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री ने अक्सर गंगा को देश की सांस्कृतिक गौरव और आस्था के प्रतीक के रूप में वर्णित किया है। प्रधानमन्त्री ने ज्यादातर अवसरों पर गंगा को देश के सांस्कृतिक गौरव और आस्था के प्रतीक के रूप में वर्णित किया है और उत्तराखंड के गोमुख के उगम स्थल से लेकर पश्चिम बंगाल में समुद्र में विलय होने तक, गंगा नदी को देश की आधी आबादी के जीवन की समृद्धि का आधार बताया है।

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